गणेश चतुर्थी | विध्नहर्ता के बारे में सवालों के जवाब जानते हैं |


विध्नहर्ता के बारे में आज कुछ सवालों के जवाब जानते हैं.

हमारे देश में 33 करोड़ देवी देवताओं को पूजा जाता है, लेकिन हर पूजा और हर शुभ काम से पहले गणेश की ही पूजा होती है. गणपति को लेकर ये कहानियां बचपन से ही सुनी जाती रही हैं कि उनका सिर हाथी का कैसे हो गया? उन्हें क्यों सबसे पहले पूजा जाता है? लेकिन गणपति के बारे में कई ऐसे सवाल भी हैं जिनके जवाब अधिकतर लोग नहीं जानते हैं. ये ऐसे सवाल हैं जो शायद पहली बार में गणेश पूजा करने वालों के मन में आएं भी . विध्नहर्ता के बारे में आज कुछ सवालों के जवाब जानते हैं.


1. गणपति बप्पा मोरिया में मोरिया शब्द का अर्थ क्या है?

गणपति बप्पा मोरिया के नारे तो सभी लगाते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि आखिर जिस गणपति बप्पा मोरिया का जाप करते रहते हैं उसका मतलब क्या है? दरअसल, मोरिया कोई मंत्र नहीं है बल्कि कथाओं के अनुसार 14वीं सदी में गणपति के सबसे बड़े भक्त का नाम था मोरिया गोसावी. ये कर्नाटक के शालिग्राम गांव से था. कर्नाटक में मोरिया की भक्ति को पागलपन कहा जाता था. उसने कर्नाटक छोड़ दिया और पुणे में चिंचवाड़ा में रहने लगा. मान्यताओं के अनुसार उसने सिद्धी हासिल कर ली, मोरिया जी के बेटे ने चिंतामणी में एक मंदिर बनवाया जहां उसके पिता ने सिद्धी की थी. मोरिया जी ने सिद्धी विनायक में जाकर भी तपस्या की थी, अमदाबाद में भी और मोरेश्वय या मयुरेश्वर में भी. गणपति भगवान उसकी सिद्धी से बहुत खुश थे और इस कारण ही मोरिया की एक इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने हामी भर दी थी.
 
मोरिया की एक लौती इच्छा थी कि उसका नाम गणपति के परम भक्त के तौर पर पृथ्वी में प्रसिद्ध हो जाए और इसलिए मोरिया शब्द भगवान गणेश से हमेशा के लिए जुड़ गया. हर बार गणपति बप्पा मोरिया बोलने पर मोरिया को याद किया जाता है.
 
2.गणेश का एक दांत टूटा क्यों है?

गणेश जी का एक दांत परशुराम जी की वजह से टूटा था. परशुराम को विष्णु का अवतार माना जाता है. वो शिव के परम भक्त हैं. लोककथा के अनुसार जब परशुराम शिव से मिलने गए थे तब गणपति जी ने उनका रास्ता रोक लिया था. परशुराम जी को हमेशा गुस्से का बहुत तेज़ माना जाता था और इसी बात पर वो गुस्सा हो गए. गणेश से युद्ध तक की स्थिती बन गई. परशुराम जी ने गणेश पर अपनी कुल्हाड़ी से वार किया. गणपति जी जानते थे कि ये कुल्हाड़ी खुद शिव ने उन्हें दी है इसलिए वार से उन्हें कुछ नुकसान होगा, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. इसलिए गणेश जी को चोट लगी और उनका एक दांत टूट गया.
3.गणेश को विध्नहर्ता ही क्यों कहा जाता है
गणपति को खास वर्दान मिला था जिसके तहत हर पूजा या शुभ कार्य से पहली उनकी पूजा जरूरी होती थी. गणपति के धड़ पर हाथी का सिर लगाने के बाद सभी देवताओं ने गणपति को आशिर्वाद दिया था. ऐसे में शिव का आशिर्वाद था कि अगर किसी भी शुभ कार्य के पहले उनकी पूजा होगी और अगर उनकी पूजा कर कार्य शुरू किया तो कार्य सफल होगा और बिना किसी विध्न पूरा होगा. यही कारण है कि गणपति को विध्नहर्ता कहा जाता है.
 
इससे जुड़ी एक कहानी भी है, लोककथा के अनुसार एक बार त्रिपुरासुर को मारने से पहले भगवान शिव ने गणेश को याद नहीं किया था तो इसलिए वो त्रिपुरासुर को आसानी से हरा नहीं पा रहे थे. जैसे ही उन्हें इस बात का अहसास हुआ उन्होंने गणपति को याद किया और फिर त्रिपुरासुर का वध किया. ये भी माना जाता है कि गणेश की पूजा करने से शनि की बुरी दृष्टि और ग्रहदोष से मुक्ति मिलती है इसलिए गणपति की पूजा होती है.

 4. आखिर गणपति का विसर्जन क्यों किया जाता है?

गणपति विसर्जन से जुड़ी भी दो कहानियां हैं, एक पौराणिक और दूसरी को ऐतिहासिक माना जाता है.
 
पौराणिक मान्यता-
 
पौराणिक मान्यता ये कहती है कि गणपति की पूजा 10 दिन करके मूर्ति को 11वें दिन विसर्जित कर देना चाहिए. इसका कारण ये है कि गणपति 10 दिन की पूजा के बाद कैलाश लौट जाते हैं और इस काम में कोई बाधा आए इसलिए विसर्जन किया जाता है. मान्यता है कि गणपति अपने साथ अपने भक्तों के सभी दुख-दर्द ले जाते हैं.
 
ऐतिहासिक कहानी-
 
पहले गीली-पिसी हुई हल्दी से गणपति की एक छोटी मूर्ति बनाई जाती थी. उसकी 10 दिन तक पूजा की जाती थी, फिर उस हल्दी की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता था और उस पानी को पेड़ की जड़ में डाल दिया जाता था. मूर्ति बहुत छोटी होती थी जो हथेली में सके.


दीपक बख्शी की ओर से आपको गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनये |

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